राम सेतु के वो साक्ष्य जो आज भी जिन्दा है
आज भी जीवित है राम सेतु भगवन राम द्वारा बनाया गया राम सेतु जिसकी लम्बाई लगभग 48 किलो मीटर बताई जा रही है आज भी जीवित है राम सेतु भारत के तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम के धनुष कोटि से लेकर श्रीलंका के मन्नार तक पत्थरो के बने इस पुल को राम सेतु कहा गया है इस सेतु को भगवन राम ने श्री लंका पर चढ़ाई करने के लिए बनाया था क्योंकि लंका नगरी का राक्षस रावण भगवन राम की पत्नी सीता को उठा ले गया था माना जाता है इसी के कारण भगवन राम ने किष्किंधा नरेश वानर राज सुग्रीव की वानर सेना की सहायता से इस पुल का निर्माण किया था उन दिनों वानर राज सुग्रीव अपने भाई बाली के द्वारा छीने गए राजपाट के कारण अपनी थोड़ी सी सेना लेकर पम्पा वन के जंगलो में निवास करते थे व्ही पर उनकी भेट अचानक श्री राम से हुई श्री राम ने उन्हें उनका छिना गया राजपाट दिलाने का भरोसा दिया वानर राज सुग्रीव ने भी श्री राम की शाहयता करने का वादा किया और माता सीता को खोजकर लाने का भरोसा दिया सबसे पहले बग्गवान श्री राम ने वानर राज बाली को मरकर सुग्रीव का राजतिलक किया और उनकी छीनी गयी पत्नी समेत उनका राजपाट उन्हें दिलाया वानर राज सुग्रीव ने भी अपने किये गए वादे को निभाया और श्री राम के शिस्य हनुमान के द्वारा माता सीता की खोज करने के बाद समुन्द्र देवता से प्ररत्न करके अपनी सेना के गुनी नल और निल नमक दो भाइयो के द्वारा भगवन श्री राम का नाम पाठरो पर लिखकर ४८ किमी लम्बा पुल्ल बना डाला खा जाता है की नल और निल को किसी मुनि द्वारा श्राप दिया दया था की वो अपने हाथ से जो भी वास्तु जल में डालेंगे वो कभी डूबेगी नहीं और यह ही श्राप भगवन श्री राम के लिए वरदान साबित हुआ और इन दोनों के द्वारा जो भी पत्थर पानी में डेल गए वोह तिरते रहे और इस के द्वारा ४८ किमी लम्बे पूल का निर्माण हुआ
वैज्ञानिक को के द्वारा यह पल तमिलनाडु के धनुष कोटि से श्री लंका के मन्नार तक फैला हुआ है जिसकी कुल लम्बाई ४८ किमी बताई जा रही है मन्नार की कड़ी तक इसमें छोटे छोटे ८ टापू है विज्ञानिको की मान्यता के अनुसार इस पुल्ल को प्रकृतिलक न मानकर मनुष्य के द्वारा बनाया हुआ बताया गया है जिसको लगभग ७००० वर्ष पुराण बताया है जबकि जिस बालू पर समुन्द्र में इस पुल्ल का निर्माण किया गया है उसको ४००० वर्ष पुराण बताया गया है
वैज्ञानिक को के द्वारा यह पल तमिलनाडु के धनुष कोटि से श्री लंका के मन्नार तक फैला हुआ है जिसकी कुल लम्बाई ४८ किमी बताई जा रही है मन्नार की कड़ी तक इसमें छोटे छोटे ८ टापू है विज्ञानिको की मान्यता के अनुसार इस पुल्ल को प्रकृतिलक न मानकर मनुष्य के द्वारा बनाया हुआ बताया गया है जिसको लगभग ७००० वर्ष पुराण बताया है जबकि जिस बालू पर समुन्द्र में इस पुल्ल का निर्माण किया गया है उसको ४००० वर्ष पुराण बताया गया है


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