गुफा वाला बाबा 🏰
स्तिथि - गुफा वाले बाबा का मंदिर सरूरपुर कलां गांव जिसे प्राचीन काल में (खांडवन प्रस्थ) कहा जाता था | यह मंदिर दिल्ली सहारनपुर रोड पर बाग़पत और बड़ौत के बीच स्तिथ है | इसी गांव के सड़क किनारे बाबा जी ने कुटिया बनाई हुई थी | बाबा जी की कुटिया के पास पशु पक्षी विचरण किया करते थे |
आस्था - गुफा वाले बाबा का बहुत प्राचीन इतिहास है। जो भक्त सच्चे दिल से बाबा के दर्शन करने आते है। बाबा अपने भक़्तो की मनोकामना अवश्य ही पूरी करते है। इसलिए दूर -दूर से हजारो भक्त बाबा दर्शन करने आते है। बाबा के दर पर जो भी आता वो उसको नीरस नहीं करते है ! बाबा जी कोमल ह्रदय वाले थे वो किसी का भी दुःख सहन नहीं कर सकते थे
मेले का आयोजन- बाबा गुफा मन्दिर पर वैसे तो वर्ष भर रोजाना भक्त बाबा दर्शन करने आते है लेकिन विशेषकर रविवार वाले दिन भक़्तो की भीड़ लगी रहती है। वर्ष मे आने वाले होली एवं दीपावली के त्यौहारो पर हजारों की संख्या मे भक्त पहुंचते है। कयोकि इन तयौहारो पर बहुत बडे मेले का आयोजन यहाँ किया जाता है। सावन मे की कावड़ यात्रा लाने वाले भक़्तो के लिए भण्डारे का आयोजन किया जाता है ।
बाबा का इतिहास - जानकार बताते है कि इस जगह कभी घना जंगल हुआ करता था जहाँ वृक्षो की छावँँ मे बैठकर बाबा तप किया करते थे। यह स्थान प्राचीन समय में कुुछ गहराई मे स्थित था जहाँ तक नीचे पहुँचने के लिये पगडंडी (रास्ता) हुआ करता था। कुछ लोगो के अनुसार बाबा अपनी शक्ति के बल पर ऊपर से गुजर रहे बादलों से बारिश करा देते थे।
कहां जाता है कि एक बार कोई गरीब भूखा किसान भूख से वयाकूल भोजन
कि तलाश मे बाबा के पास आया और कुछ खाने के लिये अनुरोध करने
लगा बाबा उस वक्त तप मे लीन थे बाबा बडे दयालू थे भूखे व्यक्ति को देख बाबा तुरंत उठे एवं उस व्यक्ति का हाथ पकड़कर अपनी
कुटिया की और चल दिये। जैसे ही कुटिया में प्रवेश किया बस पलक
झपकते ही बाबा किसान के साथ दूर कही चल रहे शादी समारोह मे पहुंच गये। यह देख किसान को बडा ही आश्चर्य हुआ बाबा ने भूखे किसान को भरपेट भोजन कराया और तब उसको वापिस लेकर इसी तरह अपने स्थान की ओर लौट आये। इस घटना ने लोगो को बाबा की शक्ति का एहसास करा दिया था।
अनहोनी का संकेत - हर दिन की तरह ही (ग्वाले) पशु चरा रहे थे आज कुछ अनहोनी होगी बाबाजी ने ध्यान लगा कर देखा और एक ग्वाले को बाबाजी ने बुलाया और उसे समझाया कि अपने पशु तुम यहां ले जाओ जो तुम चरा रहे हो उसके थोड़ी देर बाद बादल गरजा बिजली कड़की और बहुत तेज हवाएं चलने लगी और मोटे मोटे ओले पड़ने लगे लेकिन बाबा जी की कृपा से कोई हानि नहीं हुई उस बात के कारण चारों और चर्चा फैल गई है सुनकर सब लोग बड़े खुश हुए
अंतर्यामी बाबा - एक बार की बात है कुछ लोगो ने बाबा जी की कुटिया में जाकर कुछ सामान चुरा लिया बाबा जी अंतर्यामी थे उन्होंने सब जान लिया परंतु उन्होंने अपने मुख से किसी को भी यह बात न बताई लेकिन उनके चमत्कार के प्रभाव से चोरों को जब इसका एहसास हुआ तो उन्होंने चोरी की गई वस्तु लौटा दी और बाबा जी से माफ़ी मांगकर कहने लगे की हम सत्य मार्ग पर चलेंगे कभी गलत काम नहीं करेंगे और सदैव भजन कीर्तन में लीन रहेंगे
कुआ खुदाई - एक बार गांव के लोगों द्वारा कुटिया के निकट कुआं खोदने की सलाह हुई सारे गांव वाले मिलकर कुआं खोदने पहुंच गए लेकिन कुटिया के निकट कुआं ने खोदा जाये बाबाजी ने मना किया बाबा की एक ने मानते हुए उन लोगों ने कुआं खोदना शुरु कर दिया हद से ज्यादा कुआं खोदने पर भी पानी कहीं नजर नहीं आया सब लोग थककर बाबाजी के पास गये | बाबा कहने लगे कि मैंने तुम्हे बताया था कि यह सिद्ध जगह है जहां पानी नहीं निकलेगा तुम यहां वहां मत खोदो पर तुमने मेरी एक न सुनी
खुनी भैंसा -
एक बार एक खूनी भैंसे ने आतंक मचा दिया जो भी कोई उसके सामने आता वो उसको मार गिरा देता था सभी लोग घबराए हुए थे सभी लोगों का धैर्य बधाते हुए ईश्वर सब की पीड़ा हरेंगे बाबा जी ने ऐसा कहा कुछ दिनों बाद वह भैसा बाबा की कुटिया के निकट आ गया बाबा उस समय तपस्या कर रहे थे भैसा बाबा जी को मारने दौड़ा तो इधर उधर खड़े सभी लोग घबरा गए बाबा जी के तीन बार कहने पर भी जब यमसाधक (भैसा) ने बाबा जी की एक न सुनी तीन बार कहने पर भी जब भैसा नहीं माना बाबा जी को गुस्सा आ गया बाबा ने कमण्डल से जल हाथ में लिया और भैंसे पर जल की बुँदे गिरा दी भैसा वहीं पर भस्म होकर एक पत्थर की मूर्ति बन गया जिस स्थान पर भैंसे की मूर्ति है। उसके ऊपर मंदिर का निर्माण कराया गया है। समय के अनुसार मूर्ति का कुछ ही हिस्सा बचा है। बाबा के दर्शन करने आने वाले भक्त बाबा के साथ भैसे का भी पूजन करते है। गुफा वाला बाबा मंदिर के (पश्चिम) दिशा में ३०० मीटर की दुरी पर भैसे का मंदिर है जो भगत बाबा का पूजन करने आते है वो भैसे का दर्शन एवं पूजन करने जरूर जाते है भैंसे के पूजन के बिना बाबा गुफा वाले का पूजन अधूरा माना जाता है










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